उल्टा–भोंपू की प्रस्तूति :
“खेती से डाइनिंग टेबल तक” का सहकारी समाधान,
किसानो के लिए, किसानो का, और किसानो द्वारा
उक्त विषय पर एक वेबिनार में
युवा किसान, कृषि और रेडी-टू-ईट के विशेषज्ञ और शिक्षित ग्रामीण बेरोजगार आमंत्रित है।
दिनांक २ अक्टूबर २०२० समय सुबह ११ बजे
Whatsup@9871686526 or mail team@ultabhonpu.com पर लिंक के लिए संपर्क करें।
मै, अशोक अग्रवाल, प्रोग्राम डायरेक्टर, उल्टा भोंपू।
भाइयों और बहनो, मौजूदा फार्मिंग कानूनों पर देश भर में जो बहस छिड़ी हुई है, उसी पर आपसे बात करनी है।
उल्टा भोंपू पर हम समस्याओं को उनके समाधान के लिए डिस्कस करते हैं , ना कि दोषारोपण के लिए। यहाँ कुछ भी कहने की सबको आज़ादी है, कोई भी अन्यथा न लें।
इस विषय पर सर्कार और किसान आमने सामने इसलिए हैं क्योंकि दोनों ही सही भी हैं, और मजबूर भी।
सरकारी खजाना खाली है और 2022 तक किसानो की आय दुगनी करने का वायदा भी है। एम् एस पी का लाभ सभी किसानो को वैसे भी पूरा नहीं मिल पा रहा। कृषि खेत्र मे तरक्की के लिए सर्कार के पास धन नहीं है। लेकिन बैंको के पास है। प्रधान मंत्री का लक्ष्य है आत्मनिर्भर किसान जो सरकारी सहारा छोड़ने तैयार नहीं। सरकारी समाधान सभी कॉर्पोरेट्स के सुझाये समाधान है। ये कटु सत्य है की सर्कार खुद कुछ नहीं कर सकती और पूर्ण रूप से कॉर्पोरेट्स पर निर्भर है।
इधर किसानो को प्राइवेट सेक्टर से डर लगता है। क्योंकि वो विस्वास के काबिल भी नहीं है और किसी के बस में भी नहीं।
तो क्या आज जब रेडी–टू–ईट तेजी से फैल रहा है, ‘खेती से डाइनिंग टेबल तक‘ का सहकारी समाधान, किसानो के लिए, किसानो का, और किसानो द्वारा – सही हल नहीं है ? किसान के पास कच्चा माल, जमीन, लोकल बेरोजगार युवा, और फ्री टेक्नोलॉजी उनके फ़ोन में, सभी कुछ तो है।
अब सवाल है कि कॉर्पोरेट्स को उन्ही के खेल में मात के लिए इसे लागू कैसे किया जाए ?
इसी विषय पर एक वेबिनार 2 अक्टूबर को उल्टा भोंपू पर आयोजित किया जा रहा हे जिसमे सभी युवा किसान, कृषि और रेडी-टू-ईट के विशेषज्ञ और शिक्षित ग्रामीण बेरोजगार आमंत्रित है। अपने क्षेत्र के मुख्य कृषि उत्पाद, उसकी किसान को मिल रही मौजूदा कीमत, रेडी तो बात की संभावनाएं और अनुमानित कीमत वृद्धि का जो कुछ भी डाटा बन पड़े, जरूर लाएं। आगे योजना पर इसी वेबिनार में विचार किया जाएगा .
Ashok Agrawal
ये प्रयोग “खेती, उपज, अन्न, और पैकेज्ड फ़ूड की खेत से डाइनिंग टेबल तक की सप्लाई-चेन _ किसानो की, किसानो द्वारा और किसानो के लिए” बनाने के है।